इंडिया स्टील एक्सपो 2025 : इस्पात और कोयला क्षेत्र में भारत का आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम

केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने मुंबई में इस्पात क्षेत्र पर आयोजित ‘इंडिया स्टील 2025’ के छठे संस्करण को संबोधित किया। यह द्विवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी और सम्मेलन इस्पात और कोयला उद्योग के बीच सहयोग को मजबूत करने तथा वैश्विक और घरेलू चुनौतियों पर संवाद के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बना।। अपने उद्घाटन भाषण में श्री रेड्डी ने कहा कि इस्पात भारत की आर्थिक प्रगति की रीढ़ है और विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय दृष्टिकोण में इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने भारत के बढ़ते बुनियादी ढांचे का उदाहरण देते हुए जम्मू-कश्मीर में चिनाब ब्रिज और तमिलनाडु में ऐतिहासिक पम्बन ब्रिज जैसे वैश्विक मानक स्थापित करने वाली परियोजनाओं का उल्लेख किया।
भारत आज विश्व का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश बन चुका है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों में, इस्पात क्षेत्र “उदयमान क्षेत्र” है जो आत्मनिर्भर भारत के अभियान का प्रमुख स्तंभ है।कोयला और खनिज: इस्पात उद्योग की मजबूत नींव
मंत्री श्री रेड्डी ने इस्पात उत्पादन के लिए कच्चे माल की महत्ता पर भी बल दिया। उन्होंने बताया कि यदि इस्पात अर्थव्यवस्था का आधार है, तो कोयला और खनिज उसकी मजबूत नींव हैं।
भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में एक बिलियन टन कोयला उत्पादन कर राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। ऊर्जा आँकड़ों के अनुसार, कोयला अभी भी भारत की 60% ऊर्जा आवश्यकताओं और 70% विद्युत उत्पादन में योगदान देता है।मिशन कोकिंग कोयला 2021 भारत अपनी 85% कोकिंग कोयला आयात निर्भरता को कम करने के लिए मिशन कोकिंग कोयला 2021 चला रहा है। 2030 तक घरेलू उत्पादन को 140 मिलियन टन तक बढ़ाना,
कोकिंग कोयले के मिश्रण में घरेलू हिस्सेदारी को 10% से 30% तक बढ़ाना है।
सरकार नई खोजों, कोयला धुलाई संयंत्रों के विस्तार और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा दे रही है।
भारत के पास 35 बिलियन टन से अधिक लौह अयस्क भंडार हैं, जो विश्व में पाँचवें स्थान पर है।
2024-25 में भारत ने 263 मिलियन टन लौह अयस्क का उत्पादन किया
50 मिलियन टन का निर्यात किया।
हालांकि 66% भंडार मध्यम व निम्न गुणवत्ता के हैं, इसलिए लाभकारीकरण को बढ़ावा देने हेतु नीति प्रस्तावित है, जिस पर सार्वजनिक परामर्श चल रहा है।
राष्ट्रीय कोयला गैसीकरण मिशन
2030 तक‌ ₹8,500 करोड़ निवेश से100 मिलियन टन कोयला गैसीकरण करना है
यह पहल सिनगैस उत्पादन के माध्यम से स्वच्छ इस्पात निर्माण को बढ़ावा देगी और उत्सर्जन में कमी लाएगी।
भारत आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है।
राष्ट्रीय इस्पात नीति के तहत 2030-31 तक 300 मिलियन टन और 2047 तक 500 मिलियन टन उत्पादन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
कार्यक्रम के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस क्षेत्र में सहयोगात्मक विकास की आवश्यकता पर बल दिया और ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के शीघ्र क्रियान्वयन पर जोर दिया।
भारत आज वैश्विक इस्पात और कोयला तंत्र में अपनी भूमिका को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय तथा उद्योग के सक्रिय सहयोग से भारत एक हरित, टिकाऊ और आत्मनिर्भर औद्योगिक शक्ति के रूप में उभरने के पथ पर है।

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