नई दिल्ली से आज एक ऐसी खबर निकलकर सामने आई है जो न केवल भारतीय रेल के बुनियादी ढांचे को अभूतपूर्व मजबूती प्रदान करेगी, बल्कि देश की आर्थिक प्रगति की रफ्तार को भी नई ऊंचाइयां देगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की दूरदर्शी अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने आज भारतीय रेल के भविष्य को आकार देने वाली दो अत्यंत महत्वपूर्ण मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह निर्णय, प्रधानमंत्री के “नए भारत” के निर्माण और “आत्मनिर्भर भारत” के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक और निर्णायक एवं ठोस कदम माना जा रहा है। इन परियोजनाओं का केंद्रीय उद्देश्य है देश भर में यात्रियों और माल दोनों के परिवहन को और भी अधिक निर्बाध, तीव्र, सुरक्षित और कुशल बनाना। ये दो परियोजनाएं, जो अपनी प्रकृति में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, निम्नलिखित हैं:
रतलाम-नागदा तीसरी और चौथी लाइन (मध्य प्रदेश): यह महत्वपूर्ण रेल खंड, जो पहले से ही अत्यधिक व्यस्त है, अब तीसरी और चौथी लाइन के निर्माण से यातायात के भारी दबाव को कम करने में सक्षम होगा।
वर्धा-बल्हारशाह चौथी लाइन (महाराष्ट्र): इसी प्रकार, महाराष्ट्र का यह व्यस्त मार्ग भी चौथी लाइन के जुड़ने से अपनी क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि देखेगा, जिससे ट्रेनों की आवाजाही और सुगम होगी।
इन दोनों ही महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिए लगभग ₹3,399 करोड़ का विशाल बजट आवंटित किया गया है, और इन्हें युद्धस्तर पर पूरा करते हुए वर्ष 2029-30 तक राष्ट्र को समर्पित करने का दृढ़ लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह केवल रेल लाइनों का विस्तार मात्र नहीं है, बल्कि यह प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की उस परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम है, जिसका उद्देश्य विभिन्न परिवहन साधनों के बीच एक सहज और एकीकृत कनेक्टिविटी स्थापित करना है। इन परियोजनाओं का भौगोलिक प्रभाव भी व्यापक होगा। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र, देश के हृदय स्थल में बसे ये दो महत्वपूर्ण राज्य, इन परियोजनाओं के केंद्र में हैं, जहाँ कुल चार जिलों में रेलवे नेटवर्क का कायाकल्प होगा। लगभग 176 किलोमीटर नई, अत्याधुनिक रेल लाइनें बिछाई जाएंगी, जो मौजूदा नेटवर्क पर दबाव कम करेंगी और नई संभावनाओं के द्वार खोलेंगी। इसका सीधा और सकारात्मक प्रभाव इन क्षेत्रों के 784 गांवों में निवास करने वाली लगभग 19.74 लाख की विशाल जनसंख्या के जीवन पर पड़ेगा, जिन्हें बेहतर कनेक्टिविटी और आर्थिक अवसरों का लाभ मिलेगा।
औद्योगिक और कृषि विकास की जीवनरेखा कही जाने वाली माल ढुलाई के क्षेत्र में यह परियोजनाएं एक क्रांति लाने की क्षमता रखती हैं। कोयला, सीमेंट, क्लिंकर, जिप्सम, फ्लाई ऐश जैसे औद्योगिक कच्चे माल से लेकर कंटेनर, कृषि उत्पाद और पेट्रोलियम जैसे आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई अब और भी सुगम और तेज हो जाएगी। इन महत्वपूर्ण वस्तुओं की समय पर और लागत प्रभावी आवाजाही सुनिश्चित होगी, जिससे संबंधित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी। क्षमता वृद्धि के आंकड़ों पर गौर करें तो यह सालाना 18.40 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढुलाई का मार्ग प्रशस्त करेगी, जिसका अर्थ है कि अधिक माल, कम समय में, अपने गंतव्य तक पहुंच सकेगा, जिससे व्यापारिक गतिविधियों को अभूतपूर्व बल मिलेगा।
पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टिकोण से भी ये परियोजनाएं मील का पत्थर साबित होंगी:
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यह सालाना लगभग 20 करोड़ लीटर तेल आयात में कमी लाएंगी, जिससे न केवल बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत होगी बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा भी सुदृढ़ होगी।
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कार्बन उत्सर्जन में भारी कटौती होगी – सालाना लगभग 99 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा, जो पर्यावरण की दृष्टि से लगभग 4 करोड़ पेड़ लगाने के सकारात्मक प्रभाव के बराबर है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
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सबसे महत्वपूर्ण बात, लॉजिस्टिक लागत में उल्लेखनीय गिरावट आएगी, जिसका लाभ अंततः उद्योगों और उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा, महंगाई को नियंत्रित करने में भी सहायक होगा।
रोजगार सृजन के मोर्चे पर भी यह परियोजनाएं बड़ी खुशखबरी लेकर आई हैं। अनुमान है कि इनके निर्माण और कार्यान्वयन के दौरान लगभग 74 लाख मानव-दिवसों का व्यापक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होगा, जो स्थानीय युवाओं को कौशल विकास और आजीविका के नए अवसर प्रदान करेगा। कुल मिलाकर, इन दूरगामी पहलों से न केवल यात्रा सुविधाओं में क्रांतिकारी सुधार होगा, बल्कि रेलवे परिचालन की दक्षता नई ऊंचाइयों को छुएगी, सेवाओं की विश्वसनीयता बढ़ेगी और संपूर्ण लॉजिस्टिक नेटवर्क की क्षमता में कई गुना वृद्धि होगी। भारतीय रेल की यह पहल सिर्फ कंक्रीट और स्टील का निर्माण नहीं है, बल्कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘नए भारत’ के स्वप्न को धरातल पर उतारने और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को चरितार्थ करने का एक जीवंत प्रमाण है। इन परियोजनाओं से न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर भी विकास की नई गंगा बहेगी, जिससे स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार/स्वरोजगार के अनगिनत अवसर पैदा होंगे। भारतीय रेल, अपने गौरवशाली इतिहास और सतत विकास तथा जनकल्याण की अटूट प्रतिबद्धता को एक बार फिर दोहराते हुए, देश को प्रगति और समृद्धि की एक नई, तेज रफ्तार वाली पटरी पर ले जाने के लिए पूरी तरह से सज्ज और संकल्पित है।