महाराष्ट्र में हिंदी बनाम मराठी विवाद को लेकर बवाल और एमएनएस समर्थकों की हिंसा पर केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आए जरूर हैं, लेकिन यह साथ कब तक रहेगा, इसका अंदाजा किसी को भी नहीं. अठावले ने एमएनएस के कार्यकर्ताओं को मराठी भाषा के लिए काम करने लिए कहा, न कि हिंदी राजभाषा का विरोध करने के लिए.
रामदास अठावले ने कहा, “एमएनएस के कार्यकर्ता लोगों की पिटाई कर रहे हैं, ये अच्छा नहीं है. इस तरह की हिंसा से मुंबई की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा. अगर गुंडागर्दी जारी रही तो मुंबई को भी घाटा पहुंचेगा.” उन्होंने राज्य सरकार से अपील की कि वह ऐसे लोगों पर कार्रवाई करे. अठावले ने कहा, “दिल्ली में लाखों मराठी लोग रहते हैं, पूरे देश में फैले हुए हैं. क्या राज ठाकरे उनकी सुरक्षा करेंगे? उन्होंने उद्धव ठाकरे को भी याद दिलाया कि बाला साहब ने समाज के हर क्षेत्र के लिए विंग बनाई थी, ताकि एकता बनी रहे. अब इनके लोग हिंदुओं पर ही हमला कर रहें हैं. ये बाला साहब ठाकरे की विचारधारा के खिलाफ है.”
रामदास अठावले ने कहा, जो लोग मुंबई में पैदा हुए हैं और भले ही वे किसी अन्य राज्य से हों, लेकिन वे मराठी अच्छी तरह बोलते हैं. मराठी बोलना अच्छी बात है, लेकिन दादागिरी के लहजे में यह कहना कि सभी को मराठी बोलनी चाहिए. यह बिल्कुल गलत है. हम इसकी निंदा करते हैं. इसके साथ ही आगामी बीएमसी चुनाव को लेकर उन्होंने बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि अगर राज और उद्धव ठाकरे बीएमसी का चुनाव साथ में लड़ते भी हैं तो महायुति की जीत की संभावना अधिक होगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति वीडियो बनाकर थप्पड़ मारता है, तो उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि एक दिन उसे भी थप्पड़ पड़ सकता है. उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अपील की कि ऐसे मामलों में तुरंत और सख्त कार्रवाई हो. उन्होंने राज्य सरकार को याद दिलाया कि लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उसी की है और इसमें कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए.
अठावले ने भाजपा नेता आशीष शेलार के उस बयान का समर्थन किया जिसमें उन्होंने कहा था कि जैसे पहलगाम में धर्म पूछकर हमला किया गया, वैसे ही यहां भाषा पूछकर हमला हो रहा है. अठावले ने कहा कि एमएनएस के लोगों को अगर दादागिरी करनी है तो पाकिस्तानियों से करें, हम सब हिन्दुस्तानी हैं. अठावले ने भी यही दोहराया कि देशवासियों के बीच इस तरह का बर्ताव अस्वीकार्य है.